कांग्रेस के नेता मोहन प्रकाश ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं और अपनी हार का ठीकरा उसी पर फोड़ा हो।
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मोहन प्रकाश-ईवीएम
कांग्रेस के लिए कर्नाटक चुनाव जीतना काफी अहम था क्योंकि यही इकलौता दक्षिणी राज्य था जहां उसकी सरकार थी। मगर रुझानों में भाजपा ने कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया है। इसी वजह से पार्टी तिलमिला गई है और निराशा में ईवीएम-वीवीपैट पर सवाल उठा रही है। इस बार चुनाव आयोग ने नई पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिए चुनाव करवाए थे ताकि कोई भी इसकी प्रमाणिकता पर सवाल ना उठा पाए। इसके लिए आयोग ने एक ऐप भी जारी किया था जिससे कोई भी व्यक्ति छेड़छाड़ का शक होने पर आयोग को इसकी सूचना दे सकता था।
खास बात यह है कि ईवीएम छेड़छाड़ करने पर अपने आप बंद हो जाती है। यह उतने ही वोटों की जानकारी देगी जितने इसमें दर्ज हुए हैं। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर कुछ नहीं कहा और ना ही उसपर सवाल उठाए। एग्जिट पोल में उसे दूसरे नंबर की पार्टी के तौर पर दिखाया गया था तब भी वह निश्चिंत थी। कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री और नेता सिद्धारमैया ने एग्जिट पोल को 2 मिनट का एंटरटेनमेंट करार देते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपना वीकेंड एंजॉय करने के लिए कहा था। मगर जैसे ही मंगलवार को मतों की गिनती शुरू हुई और उसमें कांग्रेस पिछड़ती हुई दिखी तो उसने हार का ठीकरा एक बार फिर ईवीएम पर फोड़ दिया है।
कांग्रेस के नेता मोहन प्रकाश ने ईवीएम को अपनी हार का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, मैं पहले दिन से यह बात कह रहा हूं। भारत में कोई ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं है जिसने ईवीएम पर सवाल ना उठाए हों। यहां तक कि भाजपा ने भी अतीत में ऐसा किया है। अब जहां सभी पार्टियां ईवीएम पर शक कर रही हैं तो ऐसे में भाजपा को बैलेट पेपर के जरिए चुनाव करवाने में आखिर क्या परेशानी है?
नई जेनरेशन ईवीएम की खास बातें
- चुनाव आयोग का कहना है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और न ही दोबारा लिखा जा सकता है।
- ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।
- नई ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ संभव नहीं है। अगर कोई मशीन या उसका एक स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो ये बंद हो जाएगी।
- नई ईवीएम मशीन में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी रखी जा सकती है।
- विदेश में बने किसी भी ईवीएम का इस्तेमाल भारत के चुनावों में नहीं होता। ईवीएम स्वदेशी तकनीक से भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलूरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में तैयार की जाती हैं।
कांग्रेस के नेता मोहन प्रकाश ने ईवीएम को अपनी हार का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, मैं पहले दिन से यह बात कह रहा हूं। भारत में कोई ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं है जिसने ईवीएम पर सवाल ना उठाए हों। यहां तक कि भाजपा ने भी अतीत में ऐसा किया है। अब जहां सभी पार्टियां ईवीएम पर शक कर रही हैं तो ऐसे में भाजपा को बैलेट पेपर के जरिए चुनाव करवाने में आखिर क्या परेशानी है?
नई जेनरेशन ईवीएम की खास बातें
- चुनाव आयोग का कहना है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और न ही दोबारा लिखा जा सकता है।
- ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।
- नई ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ संभव नहीं है। अगर कोई मशीन या उसका एक स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो ये बंद हो जाएगी।
- नई ईवीएम मशीन में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी रखी जा सकती है।
- विदेश में बने किसी भी ईवीएम का इस्तेमाल भारत के चुनावों में नहीं होता। ईवीएम स्वदेशी तकनीक से भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलूरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में तैयार की जाती हैं।
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